मज़बूत सरकार-1
क्या भाजपा अपने सहयोगी दलों की सहायता से सरकार चला रही है? मुझे नहीं लगता! रामविलास पासवान जैसे मौसम वैज्ञानिक, चंद्रबाबू नायडू के विशेष राज्य, ओम प्रकाश राजभर के मुर्गा-दारू पक्का वोट, नितीश कुमार की अंतरात्मा और शिवसेना का सामना…
क्या भाजपा अपने सहयोगी दलों की सहायता से सरकार चला रही है? मुझे नहीं लगता! रामविलास पासवान जैसे मौसम वैज्ञानिक, चंद्रबाबू नायडू के विशेष राज्य, ओम प्रकाश राजभर के मुर्गा-दारू पक्का वोट, नितीश कुमार की अंतरात्मा और शिवसेना का सामना…
पिछले दिनों हिंदी के बड़े कवि विष्णु खरे नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे दिल्ली की हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष थे और कुछ ही दिनों पहले यह पदभार ग्रहण करने…
प्रख्यात मार्क्सवादी चिंतक और अर्थशास्त्री समीर अमीन बीते 13 अगस्त को पेरिस में गुज़र गए। उनका जन्म काहिरा में 3 सितंबर, 1931 को हुआ था। उनके पिता मिस्र के थे और उनकी मां फ्रेंच थीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मिस्र मे…
मेरे तकरीबन सभी दोस्तों ने मुल्क़ की सराहना की है कि वह एक दमदार मूवी है। मैं अब भी उसके उद्देश्य पर बहस किए जा रहा हूं। कहानी यों है कि बनारस के एक मोहल्ले में रहने वाले मुस्लिम बुजुर्गवार…
हमारी सांस्कृतिक बिरादरी पर एक बार फिर गिरोहों का हमला हुआ है। अपने परिवार के खिलाफ हिंसक धमकियों की प्रतिक्रिया में मलयालम के लेखक एस. हरीश ने अपना उपन्यास मीसा (मूंछ) वापस ले लिया है जो धारावाहिक के रूप में…
उसका नाम ममता था, उसने एक दलित युवक से प्रेम किया और फिर शादी भी कर ली। नतीजा जातिघृणा में डूबी हुई गोलियों ने उसका सीना छलनी कर दिया। घर वालों ने लाश से भी रिश्ता नहींं रखा। दो दिन…
बीती 29 अगस्त को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में कासगंज हिंसा को लेकर एक स्वतंत्र जांच रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट को वरिष्ठ पत्रकार अजित साही के नेतृत्व में तैयार किया गया है जिस पर कई जन और मानवाधिकार…
वाल्टर एंडर्सन से बातचीत कुछ ही लोग होंगे जो आरएसएस को वाल्टर के. एंडर्सन के जितना जानते हों, जिन्होंने पांच दशक से ज्यादा वक्त इस दक्षिणपंथी संगठन पर अध्ययन करने में बिताया है और श्रीधर दामले के साथ मिलकर एक…
हाल ही में झारखण्ड में पत्थलगढ़ी के समर्थन में फेसबुक पर पोस्ट लिखने और शेयर करने को अपराध मानते हुए बीस प्रबुद्ध नागरिकों पर राजद्रोह के मुकद्दमे दर्ज होना ‘न्यू नार्मल’ की श्रेणी की परिघटना मान ली गयी और इसे…
सुधा भारद्वाज जैसे मानवाधिकार के कुछ सर्वाधिक विश्वसनीय पैरोकारों के यहां छापामारी और उनकी गिरफ्तारी भयाक्रांत करने वाला एक क्षण है। यह एक ऐसी कायराना, उच्श्रृंखल और दमनकारी राज्यसत्ता की निशानदेही है जो असहमतों को धमकाने के लिए कोई भी…