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स्थानीय स्वशासन का सशक्तिकरण

2017-2020

परिचय

डूंगरपुर, राजस्थान के दक्षिण में गुजरात सीमा से सटा हुआ एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। पूरा जिला पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है जहां पेसा कानून लागू है। इस क्षेत्र में पिछले 20 सालों से वागड़ मजदूर किसान संगठन पेसा कानून को धरातल पर लागू करने की प्रक्रिया में लगा हुआ है। 2017 में अजीम प्रेमजी फिलेन्थ्रॉपिक इनिश्येटिव्स (एपीपीआई) के सहयोग से संगठन के कार्यक्षेत्र का विस्तार हुआ। वागड़ मजदूर किसान संगठन ने पेसा कानून के नियमों के तहत गांव स्वशासन/ गांव सभाओं के सशक्तिकरण को लेकर डूंगरपुर के दो ब्लॉक दोवड़ा तथा बिछीवाड़ा के कुल 195 गांवों में सघन रूप से काम करना शुरू किया। इस प्रक्रिया के तहत गाँवों में शिलालेख कर गांव गणराज्य की घोषणा करना, शांति समितियों का गठन करना, गांव सभा का गठन करना, नियमित गांव सभाओं का संचालन करना, गांव स्तर पर गांव विकास की योजनाएं तैयार करना। गांव सभाएं सशक्त हो इसलिए हर गांव से चुनिदा लोगों के साथ सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का संचालन किया गया।

वागड़ मजदूर किसान संगठन के कार्यक्षेत्र की गांव सभाओं के सदस्यों की क्षमता के विकास के लिए आस्था संस्थान, पॉपुलर एजुकेशन एंड एक्शन सेंटर (पीस), सोसाइटी फॉर रूरल अर्बन एंड ट्राइबल इनिश्येटिव (श्रुति) ने साथ मिल कर पेसा कानून के तहत गांव सभाओं को मिले 11 अधिकारों पर क्षमता निर्माण का कार्य किया। आस्था संस्थान, गांव सभा सदस्यों को पेसा कानून में मिले अधिकारों पर समझ बढ़ाने का कार्य कर रही थी। श्रुति द्वारा नेतृत्व विकास पर क्षमता का निर्माण किया गया। पॉपुलर एजुकेशन एंड एक्शन सेंटर (पीस) ने गांव सभा सदस्यों की गांव विकास नियोजन की क्षमताओं का विकास किया। गांव सभाएं सुचारू रूप से पेसा कानून में मिले अधिकारों का इस्तेमाल कर सके इसके लिए वागड़ मजदूर किसान संगठन ने हर गांव से 4-4 कार्यकर्ताओं का चयन आस्था और पीस की कार्यशालाओं के लिए किया तथा श्रुति की कार्यशालाओं के लिए हर पंचायत से 2-2 कार्यकर्ताओं का चयन किया। इस तरह से इस प्रक्रिया के अंतर्गत हर गांव सभा में 8-9 लोगों का एक नेतृत्वकारी समूह तैयार किया गया जो भविष्य में गांवों में गांव सभा के साथ मिलकर पेसा कानून को लागू करवाने का प्रयास करेंगे।

पीस द्वारा गांव विकास नियोजन की प्रशिक्षण कार्यशाला जून, 2017 से अप्रैल, 2020 तक चलाई। गांव विकास नियोजन प्रशिक्षण कार्यशाला दो चरणों में की गई, प्रत्येक चरण की आवासीय कार्यशाला 5 दिनों की थी। जिसमें बिछीवाड़ा की 37 ग्राम पंचायतों के 105 गांव तथा दोवड़ा की 25 ग्राम पंचायतों के 90 गांव के प्रतिभागी शामिल हुए। वागड़ मजदूर किसान संगठन द्वारा प्रत्येक गांव से 4 व्यक्तियों (2 महिला, 2 पुरुष) का चयन किया गया जिन्हें पीस द्वारा प्रशिक्षित किया गया। पहले चरण में हर गांव से जो 4 प्रतिभागी आये वही प्रतिभागी दूसरे चरण की प्रशिक्षण कार्यशालाओं में भी शामिल रहे।

गांव विकास नियोजन कार्यशाला का प्रथम चरण

पीस द्वारा आयोजित गांव विकास नियोजन के प्रथम चरण की कार्यशालाओं में बिछिवाड़ा और दोवड़ा के 195 गाँवों के 956 प्रतिभागी शामिल रहे और उनके लिए 10 कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कार्यशाला में प्रतिभागियों को दो उद्देश्यों पर प्रशिक्षण दिया गया। पहला – गांव में उपलब्ध संसाधनों तथा उनके इस्तेमाल की साझा समझ का विकास करना और दूसरा – संसाधनों की मैपिंग पर क्षमता का विकास करना।

प्रथम चरण की पांच दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागियों ने जिन्दा रहने की क्या-क्या जरूरते हैं और उन जरूरतों को कहां से प्राप्त करते हैं इसकी सूची तैयार की। इस सूची से यह निष्कर्ष निकला कि हमारी जरूरतें जल, जंगल, जमीन, व्यक्तिगत और सामूहिक श्रम द्वारा पूरी होती है और यह सभी प्रकृति प्रदत्त हैं और यह सभी उनके पास हैं। प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से भी जिंदगी को बेहतर किया जा सकता है इस समझ के बनाने के बाद सहभागियों ने अपने-अपने गांव के संसाधनों की सूची तैयार की और उसकी वर्तमान स्थिति का विश्लेषण  करके उन्हें बेहतर बनाने की योजना तैयार किया। प्रतिभागियों ने जब प्राकृतिक संसाधनों पर समझ और उसकी वर्तमान स्थिति और उसे बेहतर बनाने की योजना को तैयार करना सीखा लिया तब उनसे अपने-अपने गाँवों का इतिहास, नजरिया नक्शा तैयार करवाया गया।

प्रथम चरण की कार्यशाला के बाद सभी प्रतिभगियों को अपने-अपने गांव में वापस जा कर तीन काम करने के लिए दिए गए। यह तीनों काम गांव सभा की बैठक में करने थे। पहला – गांव के संसाधनों की सूची, उसकी वर्तमान स्थिति और उसे बेहतर बनाने की योजना तैयार करना। दूसरा – गांव का नजरिया नक्शा तैयार करना और तीसरा – गांव विवरण फॉर्म भरना। गांव विवरण के फॉर्म में प्रतिभागियों को अपने गांव से संबंधित सूचनाएं एकत्रित करनी थी मसलन गांव की कुल आबादी, परिवारों की संख्या, खती एवं फसलों की स्थिति, गांव में उपलब्ध सार्वजनिक सेवाओं की उपलब्धता एवं स्थिति इत्यादि।

सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने गांव वापस जा कर गांव सभा की बैठक का आयोजन किया और उसमें उपरोक्त कार्यों को गांव के लोगों की मदद से पूरा किया। इन कार्यों को पूरा करने में उन्हें करीब एक महीने का समय लगा। एक महीने के बाद हर गांव के चारों प्रतिभागी गांव की संसाधनों की सूची, नजरिया नक्शा और गांव का विवरण लेकर कार्यशाला के दूसरे चरण में आए।

गांव विकास नियोजन कार्यशाला का दूसरा चरण

दूसरे चरण की कार्यशालाओं में दोनों ब्लॉक के 910 प्रतिभागियों ने भाग लिया और इसके लिए 10 कार्यशालाएं आयोजित की गईं। दूसरे चरण की कार्यशालाओं में उन्हीं प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जो पहली कार्यशाला में शामिल थे। प्रतिभागी अपने-अपने गांव का नजरिया नक्शा, संसाधनों की सूची-उनकी हालत और बेहतर करने की योजना तथा अपने गांव से जुड़ी जानकारियों का विवरण लेकर आए थे। सभी ने इनका प्रस्तुतिकरण किया और एक-दूसरे के साथ अपने अनुभवों को साझा किया।

दूसरे चरण की कार्यशाला का उद्देश्य “प्रतिभागियों की गांव विकास नियोजन पर समझ का विकास करना” था। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने अपने गांव की समस्याओं की सूची तैयार करना, समस्याओं का कारण और उसका समाधान, समस्याएं सार्वजनिक है या व्यक्तिगत उसकी पहचान, समस्या का समाधान दीर्घकालिक है या तात्कालिक उसकी पहचान तथा समस्या के समाधान की वरीयता निर्धारित करना सीखा। उपरोक्त कार्यों की समझ बन जाने के बाद प्रतिभागियों ने अपने गांव विकास के प्रस्ताव कैसे लिए जाते है और उसका अनुमोदन कैसे किया जाता है सीखा। प्रस्ताव लेने और उसे पारित करने की समझ बन जाने के बाद कार्यशाला के अंतिम दिन सभी प्रतिभागियों ने वापस गांव में जा कर गांव विकास योजना तैयार करने की योजना बनवाई।

अपने-अपने गांव में वापस जा कर सभी प्रतिभगियों ने गांव सभा की बैठक आयोजित की और गांव सभा की बैठक की सूचना सरपंच, सचिव, विद्यालय और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 7 दिन पहले दी। तय समय पर गांव सभा की बैठक में गांव विकास के प्रस्ताव पारित कर उसे ग्राम पंचायत में जमा करके उसकी रसीद लिया और उस रसीद की फोटोकॉपी बीडीओ, सीईओ और जिलाधिकारी को रजिस्ट्री करके सभी की रसीद को अपनी-अपनी गांव सभा की फ़ाइल में लगा दिया गया।

पंचायत स्तरीय प्रस्ताव समग्रीकरण कार्यशाला

1 मई, 2018 से 30 अप्रैल, 2019 तक बिछीवाड़ा और दोवड़ा के 195 गाँवों में से 193 गाँवों के प्रस्ताव लिख कर पंचायत में जमा कर दिए गए। जिन पंचायतों के सभी गांव के प्रस्ताव जमा होते गए उन पंचायतों के सभी गाँवों को एक साथ लेकर पंचायत स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। पंचायत स्तरीय प्रस्ताव समग्रीकरण की कुल 5 कार्यशालाओं में दोवड़ा और बिछिवाड़ा की कुल 62 पंचायतों में से 58 पंचायतों के 582 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इन कार्यशालाओं में पंचायत के सभी गाँवों द्वारा लिए गए प्रस्ताव को साझा किया गया और पंचायत स्तरीय विकास योजना बनाने की जानकारी भी दी गई। पंचायत के सभी गाँवों की संयुक्त बैठक की जरूरत कब-कब होती है और बैठक करने की क्या प्रक्रिया की भी जानकारी दी गई। इसके लिए पंचायत स्तरीय कमेटी के गठन की चर्चा की गई तथा प्रतिभागी अपनी-अपनी पंचायत में पंचायत स्तरीय कमेटी के गठन के संकल्प के साथ दूसरे दिन वापस अपने गांव गए।

पंचायत स्तरीय रणनीतिक बैठक

दोवड़ा और बिछीवाड़ा की कुल 62 पंचायतों में से 58 पंचायतों की दो दिवसीय पंचायत स्तरीय रणनीतिक कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। पंचायत स्तरीय रणनीतिक कार्यशाला में कुल 599 सहभागियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में आस्था/वागड़ मजदूर किसान संगठन, श्रुति और पीस द्वारा पूर्व में आयोजित कार्यशालाओं में शामिल रहे सहभागियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पंचायत में जमा गांव विकास योजना के प्रस्ताव को जीपीडीपी में शामिल कराने के लिए पंचायत पर दबाव बनाने के लिए क्या रणनीति हो, इस पर समझ का निर्माण करना था। दोनों ब्लॉक के 195 गांवों में से 193 गांव सभाओं ने अपने प्रस्ताव पंचायतों में जमा कर दिए। लेकिन गांव सभाओं के प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर पंचायतों द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा है। दो दिवसीय कार्यशाला में पंचायत पर दबाव बनाने की रणनीति पर चर्चा की गई और अपने प्रस्तावों को जीपीडीपी में शामिल कराने के लिए पंचायत, पंचायत समिति, तहसील जिला मुख्यालय पर ज्ञापन रैली प्रदर्शन धरने के साथ ही साथ एक ब्लॉक स्तरीय कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया।

तीन साल की समयावधि में चली इन सभी प्रक्रियाओं से निकले दस्तावेज हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि पेसा कानून को धरातल पर लागू करवा सकने के आपके प्रयासों में इन दस्तावेजों (कार्यशाला मैनुअल, संदर्भ सामग्री और विलेज प्रोफाइल) की भूमिका बनेगी।

 

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