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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में महिलाएं नहीं दे सकतीं अपना मांग-पत्र

वाराणसी: नफरत और हिंसा की राजधानी के खिलाफ रोजी-रोटी-रोजगार के लिए ऐपवा ने संविधान दिवस पर महिला अधिकार मार्च निकाला.लम्बे समय से सरकार की गरीब विरोधी नीतियोँ के चलते दमन और उत्पीड़न झेल रही है पूर्वी उत्तर प्रदेश की मेहनकश महिलाओं ने अपनी एक दिन की मजदूरी छोड़ मार्च में शामिल रहीं.

बनारस शहर के तमाम सामजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भी अधिकार मार्च में हिस्सा लिया. सात किमी की लंबी दूरी तय करके अपनी मांगो के साथ पीएमओ पहुंची महिलाओं का मांग पत्र वहां लेने से मना कर दिया. लेकिन महिलाओं के पुलिस प्रशासन के सामने डटी रहीं और सभा के मध्यम से अपनी बात रखी गई तब कही जा कर सभा का आवाह्न किया.

सभा को सम्बोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि केद्र और उत्तर प्रदेश में बैठी मोदी सरकर महिला सशक्तिकरण के नाम पर सिर्फ खोखले वादे और नारे देने का काम कर रही है, तमाम योजनायें बनाकर महिलाओं को ठग रही है.

मीना तिवारी ने कहा कि देश में नफरत और हिंसा  फैलाने का इतिहास रखने वाली भाजपा सरकार ने महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसे बुनियादी सवालों पर चप्पी साध रखी हैं. उन्होंने कहा कि मेहनतकश महिलाएं अपने हक, अधिकार के लिए सड़क पर उतरकर इस संविधान विरोधी, महिला विरोधी सरकार को चुनौती देने उतरी है। ताकि सरकार तक इसकी आवाज़ जा सके.

उन्होने कहा कि स्व्च्छता अभियान पर करोड़ों खर्च करने वाली यह सरकार गांवों में शौचालय के लिए जमीन तक मुहैय्या नहीं करा पा रही है बल्कि उल्टे फोटोग्राफी करके और सीटी बजाकर उनका यौन उत्पीड़न कर रही है.

ऐपवा संयोजिका स्मिता बागडे ने कहा कि मोदी-योगी सरकार में दलित-आदिवासी महिलाओं को बड़े पैमाने पर जमीन से बेदखल कर बर्बर दंग से दमन किया जा रहा है.

अल्पसंख्यकों के हक में लगातार आवाज उठाने वाले रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मन्दिर का राग अलापने वाली सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश कराकर दिखाएँ? हकीकत तो यह है कि मन्दिर में प्रवेश के नाम पर आज भी दलितों की हत्या कर दी जाती है. प्रधानमन्त्री के निर्वाचन क्षेत्र में बीएचयू की लडकियाँ जब आधी रात में अपनी आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ रहीं थी तब उन पर लाठियां भांजी.

राजीव यादव ने कहा कि मोदी राज में जब भी बेगुनाहों का कत्ल किया गया चाहे वो इशरत जहाँ का मामला हों या फिर रोहित वेमुला और नजीब प्रकरण का, हमेशा इन्साफ के लिए माओं को आगे आना पड़ा. आज साम्प्रदायिक तत्व सम्विधान दिवस से ठीक एक दिन पहले सम्विधान कमजोर करने के उद्देश्य से अयोध्या में मन्दिर निर्माण की बात कर रहे हैं.

प्रोफेसर चौथीराम यादव ने कहा कि संघ भाजपा के फासीवादी विचार की सबसे पहली मार आधी आबादी पर पड़ रही है.

डॉ नूर फातिमा ने कहा कि देश की मेहनतकश बेटियां सुदूर जिलों से अपनी शिकायत पत्र लेकर आती हैं तो प्रधानमन्त्री कार्यालय पर ही कोई बात नहीं सुनी जाती इससे ये साबित है कि मोदी सरकार की स्त्रियों तक पहुंच क्या है?

(टूसर्किल से साभार)

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