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क्या हम वैश्विक मंदी की ओर बढ़ रहे हैं?

(टी. साबरी तुर्की के अर्थशास्त्री हैं। ईपीडब्ल्यू में प्रकाशित उनके लेख का अनुवाद, साभार ईनागरिक)

वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। हालांकि, क्या दुनिया इसके दुष्परिणामों से निपटने के लिये तैयार है? ऐसे में यह देखा जाना बाकि है कि इस मंदी में यूरो जोन चीन की बैंकिग प्रणालियों और वैश्विक शेयर बाजारों का क्या होगा।

जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जनवरी 2018 में अपना वर्ल्ड इकानामिक आउटलुक अपडेट जारी किया था तो भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा था। वास्तव में इस अपडेट का शीर्षक भी काफी आशावादी था। ‘‘ब्राइटर प्रास्पैक्ट्स, आप्टीमिस्टिक मार्केट्स, चैलेंजेस अहेड’’ (यानी उज्जवल संभावनायें, आशावादी बाजार और आगे की चुनौतियां) और आई.एम.एफ के नेतृत्व में एक आम सहमति कायम कर ली गयी। इसके अनुसार 2016 के मध्य से आया वैश्विक उछाल मजबूत होता जा रहा है। 2017 में 2010 के बाद से सबसे बड़ा उछाल देखा गया है और यह विकास उतनी दूर तक चलेगा जितनी दूर तक आंखें देख सकती हैं। यहां वैश्विक विकास से तात्पर्य विश्व के सकल घरेलू उत्पाद या विश्व की आय में वृद्धि है।

यह पता चला कि वर्ष 2018 ने भारी निराशा पैदा की और जनवरी 2019 में आई.एम.एफ. का वर्ल्ड इकानामिक अपडेट विकनिंग ग्लोबल एक्सपेंशन (कमजोर पड़ता वैश्विक विकास) थोड़ा सतर्क था। आई.एम.एफ. के प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा– ‘‘जैसे ही वैश्विक अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है, इसके आगे के रास्ते के जोखिम अधिक हो जाते है। क्या इसका मतलब यह है कि वैश्विक मंदी आसपास हैं। नहीं, लेकिन वैश्विक विकास में तेज गिरावट का जोखिम निश्चय बढ़ गया है।’’

इसलिये हम इस बात पर बहस कर रहे हैं कि 2019 क्या वैश्विक ठहराव या वैश्विक मंदी का वर्ष होगा। हालांकि आई.एम.एफ. ने वैश्विक मंदी की संभावना को खारिज कर दिया है।

आखिर वैश्विक मंदी क्या होती है?

आई.एम.एफ. ने 2018 के लिये वैश्विक विकास दर का अनुमान 3.7 प्रतिशत 2019 के लिये 3.5 प्रतिशत लगाया है। लेकिन इसकी सहयोगी संस्था विश्व बैंक के अनुमान ज्यादा बुरे थे। विश्व बैंक ने 2018 में 3 प्रतिशत 2019 में 2.9 प्रतिशत वैश्विक विकास दर का अनुमान लगाया। इसलिये हम निश्चित नहीं है कि 2018 में 3.7 प्रतिशत या 3 प्रतिशत की दर से विकास हुआ या 2019 में 3.5 प्रतिशत या 2.9 प्रतिशत की दर से विकास होगा। यह निर्भर करता है कि आप आई.एम.एफ. या विश्व बैंक किस पर विश्वास करते हैं।

लेकिन हम वैश्विक मंदी को कैसे परिभाषित कर सकते हैं? इसका उत्तर इस पर निर्भर है कि प्रश्न किसके लिये निर्देशित है। 2007 की गर्मियों से वैश्विक वित्तीय संकट के शुरू होने से पहले आई.एम.एफ. वैश्विक विकास दर के 2 प्रतिशत या 3 प्रतिशत से नीचे रहने को वैश्विक मंदी के रूप में परिभाषित करता था। लेकिन ज्यादातर वैश्विक विकास के 3 प्रतिशत से नीचे गिरने पर आई.एम.एफ. ने इसे वैश्विक मंदी कहा।

वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यह सब बदल गया। सितंबर 2008 से अक्टूबर 2015 के बीच आई.एम.एफ. के शोध निदेशक ओलिवियर ब्लान्कार्ड ने 2008 में जब वैश्विक विकास दर 3 प्रतिशत से कम थी, वैश्विक विकास के 3 प्रतिशत से नीचे गिरने पर इसे वैश्विक मंदी कहने पर आपत्ति जताई। अब आई.एम.एफ. के पास वैश्विक मंदी को परिभाषित करने का बहुत जटिल तरीका है।

लेकिन अगर हम आई.एम.एफ. की पुरानी परिभाषा से चिपके रहते हैं और विश्व बैंक पर विश्वास करना चुनते हैं तो दुनिया पहले से ही 2018 में मंदी में थी और इसके 2019 में जारी रहने की संभावना है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं (विश्व बैंक को विश्वास के लिये नहीं चुनते हैं) तो फिर 2018 में वैश्विक मंदी नहीं थी और जैसा कि लेगार्ड ने कहा कि वैश्विक मंदी हमारे आसपास नहीं है। हालांकि एक वैश्विक, स्वतंत्र व्यवसायियों की सदस्यता वाले अनुसंधान एसोसिएशन के कांन्फ्रेस बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का नया सर्वे यह इंगित करता है कि 2019 में प्रवेश करते हुये वैश्विक मंदी की संभावना कारपोरेट लीडरों के दिमाग में शीर्ष चिंता का विषय है (वेबर 2019) इसलिये बेहतर है कि हम इंतजार करें और देखें कि 2019 इस मोर्चे पर क्या सामने लाता है हालांकि रेइटमैन (2019) हमें सूचित करते हैं कि जर्मनी ने पहले से ही सबसे बुरे की तैयारी शुरू कर दी है।

वित्तीय स्थिरता फ्रंट

आई.एम.एफ. ने अक्टूबर 2018 में अपनी अंतिम वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट का शीर्षक थावैश्विक वित्तीय संकट के बाद एक दशक : क्या हम सुरक्षित हैं?’ और आंकलन यह था कि हम सुरक्षित नहीं थे। रिपोर्ट के प्रस्तावना में टोबिया एड्रियन ने लिखाः

आगे देखने पर क्षितिज पर बादल दिखाई देते हैं। वैश्विक आर्थिक सुधार असमान रहा है और असमानता बढ़ी है जिसने भीतर की ओर केन्द्रित नीतियों और नीतिगत अनिश्चितता को बढ़ाया है।एड्रियन ने यह भी लिखाः

जी डी पी से कुल गैर वित्तीय क्षेत्र महत्वपूर्ण वित्तीय क्षेत्रों के ऋण का अनुपात 250 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। कई सेक्टरों क्षेत्रों में संपत्ति का मूल्यांकन फैला हुआ (बिगड़ा हुआ) बना हुआ है और अंडर राइटिंग के मानक वित्त आधारित क्षेत्रों समेत कई क्षेत्रों में बिगड़े हुए हैं।

रिपोर्ट में व्यक्त प्रमुख चिंतायें इस प्रकार थीं (इनमान 2018)

(1) सरकारों और नियामकों की सिस्टम को लापरवाह व्यवहार से बचाने के लिये अभी सुधारों को आगे बढ़ाने में विफलता।

(2) वैश्विक ऋण स्तर का 2008 के संकट के समय से काफी ऊंचे स्तर का होना।

(3) चीन में तथाकथित शैडो बैंकों द्वारा ऋण देने में नाटकीय वृद्धि, और बीमा कंपनियों और परिसंपत्ति प्रबंधकां पर सख्त प्रतिबंध लगाने में विफलता, तथा

(4) वैश्विक बैंकों जैसे जे.पी.मार्गन और चीन के औद्योगिक संस्थान एवं व्यापारिक बैंक की 2008 की सीमा से ज्यादा बढ़त जो इस बात का खतरा पैदा करती है कि ये इतने बड़े हो गये कि असफल हो सकते हैं।

और 15 जनवरी 2019 को वित्तीय क्षेत्र के वैश्विक संघइंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल फाइनेंस ने अपने वैश्विक ऋण मानीटर के परिणामों कोविवरणों में शैतान’ (Devil in the Details) शीर्षक से जारी किया। उनके द्वारा साझा किये गये चार महत्वपूर्ण परिणाम हैं

(1) वैश्विक ऋण 2016 के बाद से 12 प्रतिशत बढ़कर 244 ट्रिलियन डालर या विश्व जी.डी.पी. के 318 प्रतिशत तक 2018 की तिमाही में पहुंच गया। हालांकि यह 2016 की तीसरी तिमाही के विश्व जी.डी.पी. के 320 प्रतिशत के उच्च स्तर से थोड़ा कम है।

(2) कारपोरेट क्षेत्र इस वृद्धि के एक तिहाई से अधिक के लिये जिम्मेदार है। इसका जीडीपी के प्रतिशत के रूप में ऋण विश्व जीडीपी के 92 प्रतिशत के रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है।

(3) डालर फंडिग की कमी का जोखिमः गैरसंयुक्त राज्य अमेरिका बैंकों की डालर मूल्य में देनदारियां 13.3 ट्रिलियन डालर (विश्व जीडीपी का 21. प्रतिशत) पर पहुंच गई हैं।

(4) रोल ओवर (ऋण चुकाने में असमर्थता) जोखिम ऊंचा होनाउभरते बाजार ब्रांडों/सिंडिकेट ऋणों का 2020 के अंत तक 3.9 ट्रिलियन डालर हिस्सा इस जोखिम में होना।

वैश्विक शेयर बाजार

उपरोक्त रिपोर्टों में उल्लेखित एक महत्वपूर्ण वित्तीय घटना 2018 में वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट है। ब्लूमबर्ग WCAUWRLD सूचकांक द्वारा मापा गया विश्व शेयर बाजार पूंजीकरण 28 अगस्त 2018 को 81.79 मिलियन डालर के अपने सभी समय के शिखर पर पहुंच गया और कई कदम नीचे गिरता हुआ 26 दिसम्बर 2018 को 66.02 मिलियन डालर के निम्न स्तर पर जा पहुंचा। 11 महीनों में इसमें 25 प्रतिशत की गिरावट हुई। इस भारी गिरावट ने प्रमुख केन्द्रीय बैंको को अपने मौद्रिक कड़ेपन के रुख से यूटर्न लेने को मजबूर कर दिया जिसका कि वे काफी समय से प्रचार कर रहे थे। और कुछ समय बाद बड़ी तरलता से मुद्रा झोंके जाने के चलते वैश्विक शेयरों ने 1987 के बाद का सर्वोच्च स्तर जनवरी 2019 में हासिल कर लिया। इसमें एक माह में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। और यह किन्हीं आर्थिक कारणों के चलते नहीं बल्कि ऐसा अमेरिकी सेण्ट्रल बैंकफेडरल रिजर्व समेत प्रमुख केन्द्रीय बैंकों के यूटर्न लेने भारी मौद्रिक तरलता बनाने से हुआ है।

फेडरल रिजर्व की घोषणा 31 जनवरी 2019 को आई। उसने यह संकेत दिया था कि यह आगे की ब्याज दर वृद्धि के बारे में धैर्य रखेगा और अपनी बैलेंस शीट को तनाव मुक्त करने में लचीला रुख अपनायेगा। इससे 7 दिन पहले 24 जनवरी 2019 को यूरोपीय सेण्ट्रल बैंक ने घोषणा की थी कि यह 2019 की गर्मियों तक और उससे भी आगे तक यदि जरूरी हुआ तो, अपनी महत्वपूर्ण ब्याज दरों को वर्तमान स्तर पर बनाये रखेगा। और हालांकि इसका बांड खरीद कार्यक्रम समाप्त हो चुका है फिर भी पूर्ण हो रहे बांडों से मिलने वाली नगदी को पुनः विस्तारित अवधि के बांडों में निवेशित करेगा। और 25 जनवरी 2019 को पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पी बी सी) ने केन्द्रीय बैंक बिल स्वैप जारी करके बैंकों के बांडों की तरलता का समर्थन बैंको को स्थायी बांड के माध्यम से पूंजी की भरपाई को प्रोत्साहित किया है। इसे फ्रांसेस कोपोला ने ‘‘ग्रेट चीनी बैंक बेल आउट’’ की संज्ञा दी। (कोपोला 2019)

मंदी के लिए अप्रस्तुत

वह व्यक्ति जिसने इन चीजों को एक साथ जोड़ कर प्रस्तुत किया वह आई.एम.एफ. का पहला डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड लिप्टन था। अटलांटा में अमेरिकन इकानामिक एसोसिएशन की एक बैठक में लिप्टन ने 6 जनवरी 2019 को फाइनेंसियल टाइम्स को बताया कि दुनिया के सभी बड़े देशों के नेता एक गंभीर वैश्विक स्लो डाउन के लिये खतरनाक हद तक तैयार नहीं है। (स्मिथ और ग्रीले 2019)

अगली मंदी कहीं निकट क्षितिज पर है और हम इससे निपटने के लिये जितना होना चाहिये, उससे कम तैयार हैं…..(और) पिछले संकट (2008 में) की तुलना में कम तैयार हैं।

इस सब को देखते हुये यदि आई.एम.एफ. के अनुमान की तुलना में वैश्विक मंदी पहले आती है तो कौन जानता है कि यूरोजोन और चीन के बैंकिग तंत्र का क्या होगा। चीन के मामले में शेडो बैंकिग तंत्र का क्या होगा या सामान्य तौर पर वैश्विक शेयर बाजारों और विशेष तौर पर अमेरिकी शेयरों का क्या होगा। या इस सभी का क्या होगा क्योंकि वित्तीय संकट संक्रामक होते है? वैकल्पिक रूप से यदि वित्तीय संकट इनमें से किसी से भी उत्पन्न होता है और फैलता है, तो कौन जानता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का क्या हो सकता है?

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