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नोटबंदी के बाद बैंकों को मिले सबसे ज़्यादा जाली नोट, संदिग्ध लेन-देन के मामले भी बढ़े : रिपोर्ट

नोटबंदी के बाद देश के बैंकों को सबसे अधिक मात्रा में जाली नोट मिले, वहीं इस दौरान संदिग्ध लेन-देन में भी 480 प्रतिशत से भी अधिक का इज़ाफ़ा हुआ। 2016 में नोटबंदी के बाद संदिग्ध जमाओं पर आई पहली रिपोर्ट…

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राजस्थान: पांच सौ रुपये की दिहाड़ी दिलाने का झांसा देकर ग्रामीणों पर किया ड्रग ट्रायल

राजस्थान की राजधानी जयपुर के मालपाणी अस्पताल से ड्रग ट्रायल का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां कुछ गरीब युवकों को काम का झांसा देकर उन पर विदेशी दवाओं का अवैध तरीके से परीक्षण किया गया है। दैनिक भास्कर के…

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लोन के ‘राइट ऑफ’ के नाम पर ये क्‍या चल रहा है?

वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने यह जानकारी सदन में दी कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तवर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.47 लाख करोड़ का एनपीए लोन राइट ऑफ कर दिया है। ये किसका पैसा…

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ऐतिहासिक ऊंचाई पर तेल के दाम

पेट्रोल डीजल की क़ीमतें अपने उच्चतम स्तर को छू रही हैं। केंद्र सरकार उस पर कर लगा कर अपना खजाना बढ़ा रही है। तर्क यह दिया जाता है कि शिक्षा स्वास्थ्य ओर अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च इसी रकम से…

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सत्‍तर साल में पहली बार: बैंक बोर्ड से बेदख़ल हुए कर्मचारी और अधिकारी!

'दि हिंदू’ अख़बार में एक ख़बर आई थी कि वर्तमान में किसी पब्लिक सेक्टर बैंक के बोर्ड में कर्मचारियों और अधिकारियों का कोई प्रतिनिधित्व अब नहीं रहा। आधुनिक प्रबंध शास्त्र में पार्टिसिपेटरी मैनेजमेंट (सहभागिता आधारित प्रबंध) को एक महत्वपूर्ण स्थान…

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मोदी का ‘भूख शतक’! तीन साल में ‘हंगर इंडेक्स’ में भारत 55 से 100 पर!

हम सब मंदी की बात कर रहे हैं जबकि वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 2014 में 55वें स्थान से 100वें स्थान पर आ चुका है। तीन साल में 45 स्थान नीचे– इतना तेज विकास मोदी के अलावा कौन कर सकता…

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सरकारी विश्वविद्यालयों का जीवन-मरण

इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली का हिंदी प्रोजेक्‍ट संपादकीय दो  मध्यकालीन दौर के इतिहासकार मिनहाज-ए-सिराज ने लिखा है कि 12वीं सदी के अंत तक पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा जमाने वाले बख्तियार खिलजी ने बिहार के किले पर हमला…

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असहयोगात्मक संघीय ढांचा

इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली का हिंदी प्रोजेक्‍ट संपादकीय एक  वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है। संसाधनों के बंटवारे के मामले में यह केंद्र और राज्यों के बीच एक मध्यस्थ है। आयोग का मूल काम केंद्र सरकार की करों का केंद्र…

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खेती का संकट और स्वामीनाथन की रिपोर्ट

खेती-किसानी का संकट आजकल आम चर्चा का विषय है। मजदूर वर्ग की बेहद खराब हालत पर पूरी तरह से चुप्पी साधने वाला पूंजीवादी प्रचारतंत्र भी इस संकट की कभी-कभी चर्चा किया करता है। सत्ताधारी पूंजीवादी पार्टियों की इस पर चुप…

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बम्पर उत्पादन के बावजूद विदेश से गेहूं का आयात किसानों के लिए लेकर आया है तबाही!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करने, उनके फसल लागत का पचास प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के सरकारी दावों के बीच, इस खबर को कतई सामान्य नहीं कहा…

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