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जुलियन असांज का जेल से पत्र

ब्रिटिश जेल से अपने समर्थकों को जारी अपने संबोधन में विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज ने दमनकारी परिस्थितियों का खुलासा करते हुए उनसे ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें अमेरिका को प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अभियान चलाने की बात की है।

जूलियन असांज ने यह बात ब्रिटेन के एक स्वतंत्र पत्रकार गार्डन डिम्मैक को लिखे पत्र में कही। गार्डन डिम्मैक ने इस पत्र को सार्वजनिक करने का फैसला तब किया जब कुछ दिन पहले अमेरिकी सरकार ने जूलियन असांज के खिलाफ स्पायनोज एक्ट (खुफिया कानून) के तहत मुकदमा चलाने की घोषणा की थी।

जूलियन असांज को विगत 11 अप्रैल को लंदन स्थित इक्वेडोर के दूतावास से बाहर निकालने के बाद ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इक्वेडोर के दूतावास ने अमेरिकी दबाव में असांज को शरणार्थी नियमों का पालन न करने का बहाना बनाते हुए बाहर निकाला था। असांज 2012 से इक्वेडोर के दूतावास में शरण लिए हुए थे।

जूलियन असांज जैसा कि विदित है विकीलीक्स के माध्यम से इराक व अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध अपराधों का खुलासा करने के कारण अमेरिकी साम्राज्यवादियों की आंखों में खटकने लगे थे। ‘इराक वार लॉग’, ‘अफगानिस्तान वार लॉग’ के नाम से उन्होंने अमेरिकी सैन्य अभियान के कई खुफिया दस्तावेज विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक कर दिये थे। असांज व विकीलीक्स ने खुफिया पत्रकारिता द्वारा इन्हें हासिल किया था जिसमें 2009-10 में इराक में तैनात एक ‘सुरक्षा विश्लेषक’ चेल्सिया मैनिंग ने उनकी मदद की थी।

चेल्सिया सात वर्ष की सजा काटने और रिहा होने के बाद एक बार फिर जेल में हैं सिर्फ इस बात के लिए कि उन्होंने जूलियन असांज के खिलाफ सरकारी गवाह बनकर गवाही देने से इंकार कर दिया। चेल्सिया 2010 से जेल में बंद रहीं। ओबामा सरकार द्वारा उनकी सजा सात साल तक सीमित करने के बाद वह 2017 में रिहा हुईं। लेकिन इसी वर्ष मार्च में फेडरल जूरी ने उन्हें असांज के खिलाफ गवाही न देने के लिए अनिश्चित काल की जेल की सजा दे दी।

जूलियन असांज ने अमेरिकी साम्राज्यवादियों के ‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’ की असली तस्वीर सारे विश्व के सामने प्रकट कर दी जब उन्होंने हवाई जहाज, राकेट व मिसाइलों से बेगुनाह लोगों, बच्चों पर बिना किसी उकसावे के अमेरिकी सैनिकों को हमले करते और अट्टाहस करते दिखाया। विकीलीक्स ने इन वीडियो फुटेज को ‘कोलैटरल मर्डर’ की संज्ञा दी थी क्योंकि इराक-अफगानिस्तान युद्ध के दौरान गैर सैनिकों या निर्दोष नागरिकों की हत्या को अमेरिका ‘कोलैटरल डैमेज’ कहता रहा है।

2010 में विकीलीक्स द्वारा इराक अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध अपराधों के सार्वजनिक किये जाने के बाद से अमेरिका असांज के पीछे पड़ गया। 2017 में स्वीडन की दो महिलाओं ने असांज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। नतीजतन असांज लंदन में गिरफ्तार कर लिए गये एवं जमानत पर रिहा हुए। लेकिन शीघ्र ही असांज को ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें अमेरिका को प्रत्यर्पित करने की साजिश का पता चला तो उन्होंने जमानत तोड़कर इक्वेडोर के दूतावास में शरण ले ली। तब से अप्रैल 2019 तक वे इक्वेडोर के लंदन स्थित दूतावास में थे। दूतावास से उनकी बेदखली की अमेरिका लगातार कोशिश करता रहा। ट्रंप के सत्तासीन होने के बाद अमेरिकी दबाव में दूतावास में असांज को मिली सुविधाओं में लगातार कटौती की जाती रही और उनका जीना मुहाल किया जाता रहा। अंततः अप्रैल 2019 में उन्हें बलपूर्वक दूतावास से निकाल दिया गया।

दूतावास से बाहर निकालते ही ब्रिटिश पुलिस ने असांज को अपनी गिरफ्त में ले लिया। जमानत तोड़ने के मामूली अपराध के बावजूद असांज को खूंखार अपराधियों के लिए नियत बैरक में भयंकर निगरानी में रखा गया। असांज की गिरफ्तारी के अगले दिन ही ब्रिटिश सरकार ने उन पर मुकदमा शुरू कर दिया। इस बीच उन पर स्वीडन द्वारा दो स्वीडिश महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप के तहत भी मुकदमा शुरू कर दिया गया, हालांकि यौन उत्पीड़न के आरोप को स्वीडन सरकार कुछ वर्ष पहले वापस ले चुकी थी।

जेल में असांज को उन सारी सुविधाओं से काटकर रखा गया जो कि एक विचाराधीन कैदी को मिलनी चाहिए। अपनी पैरवी करने हेतु आवश्यक अध्ययन हेतु लैपटॉप, कम्प्यूटर इंटरनेट आदि से भी उन्हें वंचित कर दिया गया है। कुल मिलाकर ब्रिटिश सरकार जूलियन असांज को अमेरिका को प्रत्यर्पित करने की तैयारी में जुटी है। वह उन्हें किसी हालत में खुला नहीं छोड़ना चाहती है।

इधर अमेरिकी सरकार ने जूलियन असांज पर आरोप व मुकदमों की जो सूची तैयार की है उसके मुताबिक उन्हें 170 साल की जेल हो सकती है। यानी जीवन पर्यंत वे जेल से नहीं निकल पायेंगे।

इससे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह घोषणा की है कि वह युद्ध अपराधों के दोषी सैन्यकर्मियों को माफी दे सकते हैं। 24 मई को ट्रंप ने न्यूयार्क टाइम्स में इस संबंध में छपी रिपोर्ट को सत्यापित करते हुए कहा कि उनके प्रशासन ने क्षमापत्रों के लिए विशेष आग्रह किया है। उन्होंने कहा ‘‘इनमें कुछ सैनिक ऐसे लोग हैं जो बहुत भीषण और लंबे समय तक लड़ाई लड़े हैं। हम उन्हें यह सिखाते हैं कि कैसे महान योद्धा बना जाये और कभी-कभी लड़ते समय उनके साथ बुरा बर्ताव होता है। हम इस सब पर गौर करने जा रहे हैं’’।

ट्रंप का यह बयान दर्शाता है कि अमेरिकी सरकार के लिए युद्ध अपराध उसकी साम्राज्यवादी नीति का हिस्सा है। कब्जे वाले इलाकों या देशों में जनता का मनोबल व प्रतिरोध को तोड़ने का माध्यम है।

बहरहाल अमेरिकी युद्ध अपराधों के खुलासे करने वाले असांज के लिए 170 साल की जेल की तैयारी व युद्ध अपराध के दोषी सैनिकों के लिए मानवीय दया व क्षमा की पेशकश ने अमेरिकी सरकार के युद्ध पिपासु व मानवद्रोही चरित्र को और अधिक उजागर किया है।

जूलियन असांज के बहाने विश्व की न्यायप्रिय जनता को अमेरिका व पश्चिमी साम्राज्यवादियों द्वारा सच की आवाज को दबाने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की इस कोशिश का विरोध करना चाहिए।

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जूलियन असांज का ब्रिटिश पत्रकार गार्डन डिम्मैक को पत्र

‘‘मुझे मुकदमे में अपने बचाव हेतु तैयारी करने की अपनी सारी क्षमताओं से वंचित कर दिया गया है। कोई लैपटॉप नहीं, कोई इंटरनेट सुविधा नहीं, कोई कम्प्यूटर नहीं, कोई पुस्तकालय नहीं, अगर मुझे इन सब तक पहुंच बनाने का मौका मिलता है तो सभी कैदियों के साथ सप्ताह में आधे घंटे के लिए।

माह में दो बार मुलाकातियों से मिलने का मौका मिलता है। और मेरे से मिलने वाले किसी व्यक्ति को सुरक्षा जांच स्क्रीनिंग आदि में हफ्ते लग जाते हैं। वकील के अलावा सारे फोन रिकार्ड किये जाते हैं। अधिकतम 10 मिनट बात करने दी जाती है। फोन पर बात करने का समय 30 मिनट है जिसमें कैदी एक दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं। और जहां तक आमदनी का सवाल है। सप्ताह में महज कुछ पौण्ड और कोई यहां भीतर कॉल नहीं कर सकता।

एक महाशक्ति पिछले नौ साल से सैकड़ों लोगों और अव्यक्त करोड़ों रुपये खर्च कर इस केस की तैयारी कर रही है। मैं बचाव विहीन हूं और मैं आप लोगों पर और अन्य सत्चरित्र लोगों पर अपने जीवन की रक्षा की उम्मीद लगाए हुए हूं।

मैं शब्दशः चारों तरफ हत्यारों से घिरा होने के बावजूद अभी तक टूटा नहीं हूं। अपने बचाव, अपने आदर्शों तथा अपने लोगों की रक्षा हेतु पढ़ने, बोलने तथा संगठित होने के दिन खत्म हो चले हैं। जब तक कि मैं मुक्त नहीं हो जाता हूं, किसी और को मेरी जगह लेनी होगी।

अमेरिकी सरकार और इसमें भी बहुत अफसोसजनक तत्व जो सत्य, स्वतंत्रता और न्याय से घृणा करते हैं, धोखाधड़ी करके मुझे अमेरिका को प्रत्यर्पित करने और मेरी मौत की चाहत रखते हैं। बजाय इसके कि जनता को सच जानने दिया जाए। उस सच को जिसके लिए मैंने पत्रकारिता का सर्वोच्च सम्मान अर्जित किया है और नोबेल पुरुस्कार के लिए 7 बार नामित हुआ हूं।

आखिरकार सच ही वह चीज है जो हम सबके पास है।”

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