केंद्र सरकार ने जिस तरह से सरकारी उपक्रम आईडीबीआई बैंक को लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन को बेचने का फैसला लिया है, उसका तमाम बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर के लोग विरोध कर रहे हैं. सरकार के फैसले पर इन लोगों ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर बैंक में निवेश करने का क्या फायदा है जब बैंक पहले से ही खराब बैड लोन और भारी नुकसान की मार झेल रहे हैं.
ऑल इंडिया एलआईसी कर्मचारी फेडरेशन के महासचिव राजेश कुमार का कहना है- हम इस खरीद को लेकर चिंतित और गंभीर हैं. जिम्मेदार ट्रेड यूनियन होने के नाते यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि क्या आईडीबीआई बैंक को खरीदना चाहिए, जो पहले से ही बहुत बड़ी लेनदारी और बैड लोन के कर्ज तले दबी हुई है. आखिर ऐसे बैंक को खरीद से एलआईसी को क्या फायदा होने वाला है, यह साफ तौर पर अच्छा निवेश नहीं नजर आ रहा है.
कुमार ने कहा कि इस फैसले से एलआईसी के निवेशकों की सेविंग पर असर पड़ेगा क्योंकि आईडीबीआई बैंक के एनपीए का बोझ एलआईसी पर आएगा, जिसे चुकाने में एलआईसी को बड़े स्तर पर खर्च करना पड़ेगा. पिछले किछ सालों से एलआईसी बीमा पर बोनस जुटाने में काफी मुश्किल का सामना कर रही है. इससे पहले शुक्रवार को इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवेलेपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एलआईसी को आईडीबीआई बैंक के 51 फीसदी शेयर खरीदने की अनुमति दी थी.
हैदराबाद में इरडा की बोर्ड मीटिंग में इस नियम में फेरबदल किया गया जिसके तहत इंश्योरेंस कंपनी 15 फीसदी से अधिक शेयर नहीं खरीद सकती है जो कंपनी इरडा के तहत रजिस्टर है. आपको बता दें कि मार्च 2018 में आईडीबीआई का एनपीए 21.25 फीसदी से बढ़कर 27.95 फीसदी तक पहुंच गया था. बैंक को 2017-18 सत्र में में 8238 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था जोकि 2016-17 में 5158 करोड़ रुपए था.