केंद्र की मोदी सरकार ने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में देशी–दिवेशी कॉर्पोरेट कंपनियों के पक्ष में कार्य किया है. इसके परिणाम स्वरुप देश के 73 प्रतिशत संपदा आज एक प्रतिशत आमिर लोगो के हाथ में सिमट गई है. 11 लाख करोड़ से ज्यादा बैंको की राशी बड़े पूंजी पतियों के हाथों में है जिसे सरकार ने निष्क्रिय परी सम्पति घोषित क्र उसे बट्ठे खाते में डाल दिया है. बैंको को बीमार घोषित क्र उसे निजी हांथो में सौपने की साजिश हो रही है. शिक्षा स्वस्थ जैस सुविधाओं का तेजी से निजीकरण हो रहा है. जिसे श्रमिक वर्ग सहित आम लोगो का जीवन और जयादा संकटग्रस्त हुआ है.
देश के हालत वेहद संगीन है. किसान, मजदूर, छात्र और नौजवान बारी–बारी से दिल्ली पहुच कर अपना विरोध दर्ज कर रहे है पेशन छीन लिए जाने के खिलाप कर्मचारी धरना दे रहे है,
भारत का मजदूर वर्ग नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के खिलाप संघर्ष की अगुवाई करता रहा है. अब 17वी बार आम हड़ताल की तैयारी में जुटा हुआ है, हड़ताल का आह्वान करने वाली तमाम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं सेवा संगठनो ने देश के मजदूर वर्ग सहित सभी तबको खासकर किसान, सामाजिक रूप से पीड़ित महिलाओं, दलितों तथा अन्य शोषित पीड़ित लोगों से 8-9 जनवरी 2019 को आम हड़ताल को सफल बनाने को आह्वान किया है.
अत: आइये 8-9 जनवरी को किसान मजदूर एवं महिलाओं द्वरा ग्रामीण इलाको में आम हडताल एवं सड़क जाम करनी है. भारत बंद को सफल कर सरकार की जनविरोधी, श्रमिक विरोधी, गैर जनतांत्रिक नीतियों एवं क़दमों के खिलाफ अपनी चट्टानी एकता का परिचय देते हुए इसे सफल बनायें.
• सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 25,000/- रुपये मासिक दी जाये
• अंतिम मजदूरी/वेतन का 2/3 हिस्से के हिसाब से पेंशन सुविधा लागू करो
• श्रम क़ानूनों में सरकार द्वारा किए गए मज़दूर विरोधी बदलाव तुरंत रद्द किए जाएं
• आठ घंटे का कार्य दिवस सख्ती से लागू करो
• जबरन ओवरटाइम लिया जाना कानूनन दंडनीय अपराध घोषित किया जाये
• मजदूर हित में श्रम क़ानूनों में बदलाव किए जाएं
• पूंजीपतियों द्वारा श्रम क़ानूनों का उल्लंघन (जेल के साथ) दंडनीय अपराध घोषित किया जाए
• सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के सभी श्रेणी के मजदूरों (ठेका, स्थायी, अस्थाई तथा महिला) के लिए ‘समान काम के लए समान वेतन’ सख्ती से लागू करो
• संगठित व असंगठित क्षेत्र के सभी संस्थानों में सभी श्रमिकों को बिना किसी अपवाद के श्रम कानूनों के दायरे में लिया जाये
• ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाओ
• कोयला समेत सभी सरकारी व अर्ध–सरकारी कारखानों में किये जा रहे निजीकरण पर तुरंत रोक लगाओ
• ठेका, कैजुअल, प्रशिक्षु और असंगठित क्षेत्र के सभी मज़दूरों के साप्ताहिक सवतैनिक अवकाश लागु करो
• श्रम काननू में ‘कामगार’ की सार्विक परिभाषा के तहत उसमें ठेका, कैजुअल, प्रशिक्षु और अन्य सभी तरह के अस्थायी मजदूर–कर्मचारी तथा योजना कर्मियों – आंगनवाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्कर आदि को भी कामगार होने की मान्यता, न्यूनतम वेतन, अधिकार और सुविधाएं दो
• मजदूर द्वारा ट्रेड यूनियन पंजीकरण के लिए आवेदन करने के 30 दिन के अंदर पंजीकरण करना कानूनन अनिवार्य बनाया जाये। पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र जमा करने की तिथि से ही आवेदनकर्ता और पदाधिकारियों को ‘संरक्षित कामगार’ (protected workman) घोषित करो
• मैनेजमेंट द्वारा मजदूर यूनियन की मान्यता को स्वीकृत करने के लिए सही कानून बनाया जाये
• फैक्ट्री गेट के पास और औद्योगिक क्षेत्र में शांतिपूर्ण धरना व प्रदर्शन के अधिकार को संविधान प्रदत्त मौलिक ट्रेड यूनियन अधिकार के रूप में मान्यता दो
• मजदूरों के कानूनी अधिकार जैसे धरना, प्रदर्शन, हड़ताल आदि में पुलिस–प्रशासन के अन्यायपूर्ण दखलअंदाजी पर रोक लगाओ
• असंगठित /अनौपचारक क्षेत्र के मजदूर (खेतिहर मजदूर, घरेलू कामगार, भवन निर्माण मजदूर, मनरेगा मजदूर, आंगनवाड़ी वर्कर, लोडिंग–अनलोडिंग मजदूर, बीड़ी मजदूर आदि) सहित सभी मजदूरों को बीमा, भविष्य निधि, पेंशन के दायरे में लाया जाए
• सभी मजदूरों को आवास, मुफ्त शिक्षा व इलाज़, सुरक्षा व आधारभूत अन्य सुविधाओं की गारंटी करो
• पीस रेट पर काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम दर पर आधारभतू सुविधाएं दी जाएं एवं सुरक्षा से संबन्धित काननू सख्ती से लागू किये जाएं
• देश के अलग–अलग इलाके और राज्यों में प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण आवश्यक किया जाये और उन्हें आधारभूत सुविधाएं दी जाएं
• प्रत्येक क्षेत्र में रोजगार का एक तिहाई औरतों के लिए सुरक्षित करो और उनकी सुरक्षा, मातृत्व अवकाश और अन्य सुविधाओं की गारंटी करो
• महिला मजदूरों से उनकी इच्छा के विपरीत रात्रि पाली में काम करवाना बंद किया जाय
• कार्यस्थल पर महिला मजदूरों के यौन उत्पीड़न से सुरक्षा हेतु समुचित कानूनी उपाय किए जाएं
• छटनी, ले–ऑफ व तालाबंदी पर रोक लगाओ
• बदं पड़े कारखानों का सरकार अधिग्रहण करे और उन्हे दोबारा चालू किया जाये
• कारख़ाना के दोबारा चालू होने तक बंद कारखाने के सभी मजदूरों को ‘निर्वाह मजदूरी’ दी जाये
• सभी को सम्मानजनक रोजगार दो और बेरोजगारी की तर्कसंगत और सुस्पष्ट परिभाषा दी जाए
• सभी बेरोजगारों को न्यूनतम 15000/- रुपए का बेरोजगारी भत्ता दिया जाए
• महंगाई पर रोक लगाओ, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये आम जनता को न्यूनतम दर पर चावल, दाल, गेहूं, तेल, ईंधन इत्यादि दिया जाये
• प्रबंधन एवं मालिक द्वारा ‘अनुचित व्यवहार’ के तहत बर्खास्त मजदूरों को फौरन काम पर वापस लिया जाए तथा अन्यान्य मांगें