वाम दलों का साझा निंदा बयान
उत्तर प्रदेश की चार वामपंथी पार्टियों माकपा, भाकपा (माले-लिबरेशन), एसयूसीआई (सी) और भाकपा (माले-रेड स्टार) ने सोनभद्र जिले के उभा गांव में भूमाफिया गिरोह द्वारा वनभूमि पर काबिज आदिवासियों के जनसंहार की कड़ी निंदा की है और बंगाल में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी और ग्राम प्रधान सहित सभी दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की है। वाम पार्टियों ने पीड़ितों को 20-20 लाख रुपये मुआवजा देने और मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और उनकी काबिज भूमि का पट्टा देने की भी मांग की है।
एक दिन पहले जारी साझा बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते, भाकपा (माले-लिबरेशन) के राज्य सचिव बृजेन्द्र तिवारी, एसयूसीआई (सी) के विश्वजीत हरोड़े, भाकपा (माले-रेड स्टार) के राज्य सचिव सौरा यादव ने एक साझा बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में दलित-आदिवासियों व अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की अनेकानेक घटनाओं से स्पष्ट है कि वास्तव में योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे गुंडों का ही राज चल रहा है और सरकार व प्रशासन के संरक्षण में संगठित अपराध फल-फूल रहे हैं।
आदिवासियों पर यह हमला भी पूरी तरह सुनियोजित था क्योंकि सैकड़ों हमलावर कई ट्रकों में लदकर आये थे और पुलिस की मौजूदगी में भूमाफियाओं ने आदिवासियों का कत्लेआम किया है। आदिवासियों की जमीन हड़पने की भूमाफियाओं के अभियान की पृष्ठभूमि में बंगाल में पदस्थ एक आईएएस अफसर प्रभात मिश्र का नाम सामने आया है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चहेता है। इससे राजनेताओं, अफसरों और भूमाफियाओं के संबंध भी उजागर होते हैं।
वाम नेताओं ने कहा है कि जिन आदिवासियों पर भूमाफियाओं ने गोली चलाई है, वे कथित विकास परियोजनाओं के कारण कई बार अपनी भूमि से विस्थापित हो चुके हैं और पीढ़ियों से विवादित भूमि पर काबिज होकर एक सोसायटी को लगान चुका रहे हैं। आदिवासी वनाधिकार कानून का क्रियान्वयन न होने के कारण आज फिर विस्थापन के निशाने पर हैं।
वाम पार्टियों ने जिले के कलेक्टर और एसपी को भी इस पूरे हालात के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है। वाम नेताओं ने आरोप लगाया है कि आदिवासी हत्याकांड में शामिल अधिकारियों और भूमाफियाओं को भाजपा सरकार बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि देश की जनता पर हिंदुत्व का एजेंडा थोपने के लिए भाजपा-संघ द्वारा सुनियोजित रूप से आपराधिक मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है।
भाकपा-माले की जांच रिपोर्ट
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने कहा है कि सोनभद्र का आदिवासी जनसंहार पूर्व नियोजित था और प्रशासन भूमाफिया के साथ खड़ा था। घटना के दौरान जिला पुलिस और प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने पीड़ित पक्ष का फोन नहीं उठाया।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव के नेतृत्व में गुरुवार को उभ्भा गांव (घटनास्थल) पहुंची माले की आठ सदस्यीय टीम ने दो दिनों की पड़ताल के बाद शनिवार को अपनी जांच रिपोर्ट जारी की।
राज्य सचिव ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि पूरा मामला प्रशासन की जानकारी में था, लेकिन न तो घटना से पहले न ही उसके दौरान कोई उपाय किये गये और एक तरह से हमलावरों को खुली छूट दे दी गई।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार में भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में आदिवासियों की बेदखली की जा रही है और उनकी पुश्तैनी जमीनें हड़पी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि जांच दल ने घटनास्थल का दौरा करने के दौरान मृतकों व घायलों के परिवार वालों से मिलकर संवेदना व्यक्त करने के साथ घटना की पूरी जानकारी हासिल की।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, घायल महेंद्र (पुत्र गुलाब) की माता संतीपा देवी ने दल को बताया कि जिस जमीन को लेकर घटना हुई है, उस जमीन पर वे लोग चार पीढ़ियों से बसे हैं। पहले वहां पुराना जंगल था तब से वे लोग लगातार खेती करते आ रहे हैं।
घायल राजिंदर (पुत्र रामसिंह) की माता भगवंती देवी ने बताया कि घटना के दिन हम लोगों को कुछ भी नहीं पता था। अचानक मालूम हुआ कि जमीन कब्जाने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने लगभग 32 ट्रैक्टरों, सौ से अधिक लोगों और बंदूक, राइफल व धारदार हथियारों के साथ पहुंचकर खेत जोतना शुरू कर दिया है। जब गांव के लोग इकट्ठा होने लगे तो उन लोगों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।
गोली से घायल होकर जो लोग गिरते थे, उन्हें वह लोग लाठी डंडों से पीट-पीट कर मार डालते थे।
मृतक जवाहर के पुत्र राजपति ने बताया कि छह सौ बीघा जमीन पुराने कोआपरेटिव के नाम पर है। उक्त जमीन में पूर्व जिलाधिकारी प्रभात मिश्र ने सौ-सौ बीघा अपनी पत्नी, बहू, पुत्री के नाम करा लिया था और बाद में 2017 में गांव प्रधान को बेच दिया, जिस पर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।
मृतक बसमतिया की बहू अनीता व मृतक रामचंद्र के पुत्र पिंटू ने बताया कि पूरी घटना पर प्रशासन की तरफ से पीड़ितों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। न तो मुआवजा मिला है, न ही जमीन का निस्तारण किया गया है। जिला प्रशासन पूरी तरह से भू-माफिया के साथ खड़ा है।
मृतक अशोक के पुत्र राजू ने बताया कि जिस समय गोली चल रही थी, उस समय हम लोगों ने कोतवाली, सीओ, डीएम, एसपी को फोन किया, किन्तु किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया। जब तक अपराधी हमला करते रहे तब तक पुलिस नहीं पहुंची। जब सब चले गए तब पुलिस पहुंची।
पूरे घटनाक्रम पर गौर करते हुए जांच रिपोर्ट में सोनभद्र के डीएम, एसपी को फौरन निलंबित करने, मृतकों के परिजनों को घोषित मुआवजा राशि 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने, उक्त जमीन पीड़ित आदिवासी परिवारों के नाम करने, आदिवासियों-वनवासियों की बेदखली तत्काल प्रभाव से रोकने और जनसंहार रचाने वालों को सख्त सजा देने की मांग की गई है।
इन मांगों पर जोर देने, घटना का प्रतिवाद करने और योगी सरकार से जवाब मांगने के लिए पार्टी 22 जुलाई सोमवार को सोनभद्र समेत राज्य भर में जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेगी।
माले के जांच दल में राज्य सचिव के अलावा पार्टी की राज्य स्थायी (स्टैंडिंग) समिति के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, सोनभद्र जिला सचिव शंकर कोल, ऐपवा नेता जीरा भारती, राज्य समिति सदस्य बिगन गोंड़ व घोरावल क्षेत्र के पार्टी नेता विजय कोल प्रमुख रूप से शामिल थे।